(1)
दुकानें बन्द कर दो अब दुआएँ बेचने वालों
जमाना खुद बनायेगा मुकद्दर देख लेना तुम।
(2)
मुद्दतों बाद उसके हक् में फैसला आया
जिसके इंतज़ार मे साँसें ठहर गयी उसकी।
(3)
साकी ने दिया ज़ाम मगर बेरूखी के साथ
ऐसे में मैकशों को नशां खाक् चढ़ेगा।
(4)
गरीबों, के उजालों को छीनने वाला
तड़प-तड़प के अधेरों में मर गया आखिर।
(5)
परिंदा मार करके जीत का तुम जश्न करते हो
उनकी बद्दुआ से क्या तुम्हे कुछ डर नहीं लगता।
(6)
नजरें घड़ी पर, और बेचैनी से लगता है
कि महबूब ने मिलने का वादा कर लिया उससे।
--------राजेश कुमार राय।-------