घरों में कैद रहने का मज़ा ले
नयी दुनियाँ बनाना बाद में तुम
जो दुनियाँ है बची उसको बचा ले
बला आयी है तो जाना भी होगा
अभी चाहे हमें जितना नचा ले
अभी हरगिज न सौंपेंगे सफीना
समंदर शोर कितना भी मचा ले
मुसीबत की उमर लम्बी न होगी
अगर ये पैर घर में ही जमा ले
हिफाजत खुद की करने के लिए ही
हकीमों की सलाहों को कमा ले
खुद़ा के वासते तनहा ही रह कर
अमा इक चैन की बंशी बजा ले
-------राजेश कुमार राय---------