Saturday, 31 May 2025

आगे का अंजाम तुम्हारे हाथों में ..........

मैंकश प्याला ज़ाम तुम्हारे हाथों में 
साकी सारा काम तुम्हारे हाथों में 

एक नजर में मैं भी होश गंवा बैठा 
आगे का अंजाम तुम्हारे हाथों में 

मेरे हिस्से शाम अगर आ जाती है 
रख दूंगा वो शाम तुम्हारे हाथों में 

अकसर सोचा करता हूं बस मेरा ही 
क्यूं लिक्खा है नाम तुम्हारे हाथों में 

साकी से मिलकर उस से ये कहता हूं 
सारा तीरथ धाम तुम्हारे हाथों में 

.......... राजेश कुमार राय ...........
  

Saturday, 11 January 2025

संगम का किनारा देखते हैं ......

आओ ये नज़ारा देखते हैं 
संगम का किनारा देखते हैं 

धरती पर उतरता आसमां से 
सुंदर माहपारा देखते हैं 

जाने रंग कितने है समेटे 
आओ रंग सारा देखते हैं 

पुल से रात का मंज़र कि जैसे 
रेतों में सितारा देखते हैं

कल कल सी मधुर संगीत जिसकी 
उस गंगा की धारा देखते हैं 

 ....... राजेश कुमार राय ..........