कुचल करके सड़कों पे मारा गया
क्या तुम्हारा गया, क्या हमारा गया?
उस माँ पे क्या गुजरी है पूछो जरा
जिसके आँचल का कोई सितारा गया।
भँवर में फँसा था, तो कोई न आया
बस साहिल से मुझको पुकारा गया।
मौंत नें जाल उस पर कसा इस कदर
कि, वो मक्तल से आ के दुबारा गया।
सब फ़रिश्ते सफर में भटकते रहे
और सियासत में ज़ालिम सँवारा गया।
एक बेटी तरसती रही उम्र भर
प्यार, बेटे के हिस्से में सारा गया।
मैकद़ा, मैकद़ा ढूँढता रह गया
वो साकी गयी, वो नज़ारा गया।
जिसकी गवाही अहम थी उसे,
मौंत के घाट पहले उतारा गया।
---------राजेश कुमार राय।--------
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