(1)
मौसम के परिंदों नें इक आह भरी ऐसी
जाता हुआ बादल भी पल भर को ठहर जाये।
(2)
दुनियाँ में चमकते हैं, वो लोग बहुत अक्सर
जो खुद को जलाकर के जग रौशन करते हैं।
(3)
मुहब्बत की तश्नगी है, ऐसे न बुझेगी
आ मिल के इनकी आसूँओं से प्यास बुझा दें।
(4)
सब छीन लेता है वो अपने बाजुओं के जोर से
क्या नेकियाँ भी छीन लेगा नामए आमाल से !
(5)
मेरे दस्तक मे जाने कौन से अल्फाज़ बसते हैं
मेरा महबूब मेरी हर सदा पहचान लेता है।
(6)
अगर प्रतिकार करना है, कलम को हाथ में ले लो
अदब के हाथ में खंज़र कभी शोभा नहीं देता।
----------राजेश कुमार राय।----------