Saturday 9 January 2021

कभी रेगज़ारों से पूछो कि उनके..........

मुकम्मल हुई ना अधूरी कहानी 
नहीं जिंदगी में रही रात रानी 

मुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे 
कहीं टूट जाये ना तेरी जवानी 

किसे ये पता था कि आयेगा इक दिन 
समंदर भी मांगेगा बादल से पानी 

तुम्हारे पते पर तुम्हें भेज दूंगा 
मुहब्बत में छूटी थी जो इक निशानी 

जहां से चले थे वहीं आ गये हम 
वही मैकद़ा है वही ज़िंदगानी 

ये ज़ुल्फों का उड़ना बहकती अदाएं
भला कैसे होगा न मौसम रूमानी 

कभी रेगज़ारों से पूछो कि उनके 
तसव्वुर में क्या है समंदर के मानी

  --------राजेश कुमार राय---------

15 comments:

  1. वाह सर,बेहतरीन गज़ल।
    हर बंध अर्थपूर्ण है।

    सादर।

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    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

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  2. साल की शुरुआत बहुत अच्छी ग़ज़ल से हुई।
    शुभकामना।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

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  3. बहुत बहुत सराहनीय गजल ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

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  4. मुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे
    कहीं टूट जाये ना तेरी जवानी

    किसे ये पता था कि आयेगा इक दिन
    समंदर भी मांगेगा बादल से पानी

    वाह!!!!
    बहुत ही लाजवाब गजल
    एक से बढ़कर एक शेर....।

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जनवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

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  6. वाह, बहुत खूब
    बेहतरीन ग़ज़ल ...

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    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

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  7. किसे ये पता था कि आयेगा इक दिन
    समंदर भी मांगेगा बादल से पानी ,,,,,,बहुत सुंदर ग़ज़ल हर एक लाईन कुछ अलग अंनदाज को बंया करती हुई ।बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली,नऐ वर्ष की शुभकामनाएँ

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    1. आप का हार्दिक आभार ।

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  8. बहुत ही सुंदर सृजन।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद ।

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