नहीं जिंदगी में रही रात रानी
मुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे
कहीं टूट जाये ना तेरी जवानी
किसे ये पता था कि आयेगा इक दिन
समंदर भी मांगेगा बादल से पानी
तुम्हारे पते पर तुम्हें भेज दूंगा
मुहब्बत में छूटी थी जो इक निशानी
जहां से चले थे वहीं आ गये हम
वही मैकद़ा है वही ज़िंदगानी
ये ज़ुल्फों का उड़ना बहकती अदाएं
भला कैसे होगा न मौसम रूमानी
कभी रेगज़ारों से पूछो कि उनके
तसव्वुर में क्या है समंदर के मानी
वाह सर,बेहतरीन गज़ल।
ReplyDeleteहर बंध अर्थपूर्ण है।
सादर।
आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।
Deleteसाल की शुरुआत बहुत अच्छी ग़ज़ल से हुई।
ReplyDeleteशुभकामना।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।
Deleteबहुत बहुत सराहनीय गजल ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteमुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे
ReplyDeleteकहीं टूट जाये ना तेरी जवानी
किसे ये पता था कि आयेगा इक दिन
समंदर भी मांगेगा बादल से पानी
वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब गजल
एक से बढ़कर एक शेर....।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जनवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।
Deleteवाह, बहुत खूब
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल ...
आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।
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ReplyDeleteकिसे ये पता था कि आयेगा इक दिन
समंदर भी मांगेगा बादल से पानी ,,,,,,बहुत सुंदर ग़ज़ल हर एक लाईन कुछ अलग अंनदाज को बंया करती हुई ।बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली,नऐ वर्ष की शुभकामनाएँ
आप का हार्दिक आभार ।
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ।
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