किसने लूटा घर मेरा तनहाई में
अब किसका है हांथ मेरी रूसवाई में
बरसों पहले जख्म दिया तूने मुझको
दर्द उठा है आज वही पुरवाई में
मुंसिफ की हर बात मेरी सर आंखों पर
जाने दो अब क्या रक्खा सुनवाई में
एक जनाजा निकला है बिन मौसम का
सरहद पर जब जान गयी तरूणाई में
उसकी बेबस आंखों का पानी देखो
सारा दोष निकालो मत हरजाई में
गौहर खातिर आंख ही उसकी काफी है
मत डूबो तुम सागर की गहराई में
खंजर तेरा और मेरे सर का सजदा
टूट गया हूँ पल पल तेरी लड़ाई में
---------राजेश कुमार राय---------
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