इलाका तुम्हारा बशर देखना है
कहाँ तक चला है असर देखना है
हुई जिन परिंदों की परवाज़ ऐसी
हमें उन परिंदों के पर देखना है
बहुत हो चुका अब लगाओ निशाना
मुझे अपने दुश्मन का डर देखना है
इशारा समझते हैं हम भी बहुत कुछ
हमें मत बताओ किधर देखना है
असल में सुहानी सी रातों में कैसे
कटेगा ये तनहा सफर देखना है
सजा दे जो गुलशन मिला दे जो सबको
मुहब्बत को अब इस कदर देखना है
लगी आज महफिल चटक चांदनी में
नजारा हमें रात भर देखना है
हजारों गमों में भी लब मुसकुराते
गजब का जिगर है जिगर देखना है
------राजेश कुमार राय------