वक़्ते रूखसत जितना होगा उतना टाला जाएगा
अपने मकां के सरमाये को अपने मकां तक रहने दो
वरना इक दिन चौराहों पर उसको उछाला जाएगा
दुनियाँ के अच्छे शेरों के शौक लगेंगे जब तुम को
मीरो ग़ालिब मोमिन का दीवान खँगाला जाएगा
कैसी उसकी माया है और कैसा उसका खेल बता
तेरे मेरे ज़िस्म से इक दिन प्रांण निकाला जाएगा
अपने रफ़ीकों में काफिर से अपनी जान बचा लेना
सांप तुम्हारी खातिर उनके घर में पाला जाएगा
मसनद पर इल्ज़ाम लगाकर और उतर कर सड़कों पर
रफ़्ता रफ़्ता आंचों पर ये शह्र उबाला जाएगा
--------राजेश कुमार राय---------
बाखूब बोलती सी ग़ज़ल।
ReplyDeleteअपने मकां के सरमाये को अपने मकां तक रहने दो .।
बहुत सुंदर।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर गजल
ReplyDeleteआप का हार्दिक आभार आदरणीय ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अक्टूबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।
Deleteबहुत खूब। 👌👌👌 बेहतरीन ग़ज़ल ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।
Deleteमर्मस्पर्शी गजल राय साहब क्या खूब लिखा है।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteहर शेर लाजवाब । शानदार गजल ।
ReplyDeleteआप का हार्दिक आभार ।
Deleteदुनियाँ के अच्छे शेरों के शौक लगेंगे जब तुम को
ReplyDeleteमीरो ग़ालिब मोमिन का दीवान खँगाला जाएगा
वाह!!!
कैसी उसकी माया है और कैसा उसका खेल बता
तेरे मेरे ज़िस्म से इक दिन प्रांण निकाला जाएगा
कमाल की गजल...एक से बढ़कर एक शेर....
वाहवाह...
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।
ReplyDeleteso good
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
Deleteएक से बढ़कर एक शेर
ReplyDeleteआप का हार्दिक आभार आदरणीय ।
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