Wednesday, 6 October 2021

रफ़्ता रफ़्ता आंचों पर ये शह्र उबाला जाएगा.............

खाली कर दे पैमाना पैमाना ढाला जाएगा 
वक़्ते रूखसत जितना होगा उतना टाला जाएगा 

अपने मकां के सरमाये को अपने मकां तक रहने दो 
वरना इक दिन चौराहों पर उसको उछाला जाएगा 

दुनियाँ के अच्छे शेरों के शौक लगेंगे जब तुम को 
मीरो ग़ालिब मोमिन का दीवान खँगाला जाएगा 

कैसी उसकी माया है और कैसा उसका खेल बता 
तेरे मेरे ज़िस्म से इक दिन प्रांण निकाला जाएगा 

अपने रफ़ीकों में काफिर से अपनी जान बचा लेना 
सांप तुम्हारी खातिर उनके घर में पाला जाएगा 

मसनद पर इल्ज़ाम लगाकर और उतर कर सड़कों पर 
रफ़्ता रफ़्ता आंचों पर ये शह्र उबाला जाएगा 

                  --------राजेश कुमार राय---------

18 comments:

  1. बाखूब बोलती सी ग़ज़ल।
    अपने मकां के सरमाये को अपने मकां तक रहने दो .।
    बहुत सुंदर।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

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  2. बहुत बहुत सुन्दर गजल

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    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अक्टूबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

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  4. बहुत खूब। 👌👌👌 बेहतरीन ग़ज़ल ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

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  5. मर्मस्पर्शी गजल राय साहब क्या खूब लिखा है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

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  6. हर शेर लाजवाब । शानदार गजल ।

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    1. आप का हार्दिक आभार ।

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  7. दुनियाँ के अच्छे शेरों के शौक लगेंगे जब तुम को
    मीरो ग़ालिब मोमिन का दीवान खँगाला जाएगा
    वाह!!!

    कैसी उसकी माया है और कैसा उसका खेल बता
    तेरे मेरे ज़िस्म से इक दिन प्रांण निकाला जाएगा
    कमाल की गजल...एक से बढ़कर एक शेर....
    वाहवाह...

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  8. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

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    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

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