संगम का किनारा देखते हैं
धरती पर उतरता आसमां से
सुंदर माहपारा देखते हैं
जाने रंग कितने है समेटे
आओ रंग सारा देखते हैं
पुल से रात का मंज़र कि जैसे
रेतों में सितारा देखते हैं
कल कल सी मधुर संगीत जिसकी
उस गंगा की धारा देखते हैं
....... राजेश कुमार राय ..........
प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ की याद दिलाती सुंदर रचना
ReplyDeleteआप का हार्दिक आभार आदरणीया
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteखूबसूरत संकलन
ReplyDeleteरचना को स्थान देने के लिए आप हार्दिक आभार आदरणीया।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय।
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