Saturday 2 May 2015

ज़ुल्म करता है एक ताज़ियाना यहाँ.......

होश वालों जरा तुम भी आना यहाँ
साकी की नज़र आज़माना यहाँ।

हर तरह की कसक भूल जाओगे तुम
मैक़दे की कसम डूब जाना यहाँ।

बचकर निकलना तो मुश्किल है अब
हर नज़र है बहुत क़ातिलाना यहाँ।

सबकी ज़ुबाँ पर है पहरा लगा
ज़ुल्म करता है एक ताज़ियाना यहाँ।

जीत की चाहतों को लिये फिर रहा
अब मुझको नहीं मात खाना यहाँ।

बेटे के लिये तुम तड़पते हो क्यूँ?
बेटी का भी हाज़िर है शाना यहाँ।

हवा के असर से है मुमकिन "राजेश"
टूट जायेगा एक आशियानाँ यहाँ।

......राजेश कुमार राय।........

No comments:

Post a Comment