(1)
रात चाँदनीं, लोग जुटेगें, सोचो क्या मंज़र होगा
जब दर्द बँटेगा रात कटेगी दीवानों की महफ़िल में।
(2)
बेसबब सवाल, बहुत पूछते हो आज
क्या तुम्हारा दर्द भी हद पार कर गया ?
(3)
मेरा दिल बहुत उदास सा रहता है आजकल
ये उसके तग़ाफुल का असर है शायद।
(4)
इंसान को मज़हब में बाँटनें वालों
खूँन का रंग बदल दो तो मैं तुमको जानूँ।
(5)
कभी बाढ़, सुनामी तो कभी ज़लज़ला आया
कहीं किश्तों में कयामत का सिलसिला तो नहीं है !
(6)
किसी की बादशाहत से मुझे कुछ भी नहीं लेना
मगर ये भी जरूरी है कि सबकी भूख मिट जाये।
(7)
कुछ ज़ख्म तुम्हारे दिल में है, कुछ दर्द रफ़ीकों से लेकर
"राजेश" मुकम्मल होनें का कुछ तुम भी लुत्फ उठा लेना।
-----------राजेश कुमार राय।----------
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