कोई खुशी है या कोई गम है
आँख हमारी क्यों पुरनम है
प्यार तुम्हारा मेरा ख़जाना
जितना दे दो उतना कम है
तेरा बरसना या चुप रहना
या तो सागर या शबनम है
कितना खुश है आज परिंदा
दश्त में जैसे एक ज़मज़म है
एक सियासत लाखों चेहरे
वो रहबर है या रहजन है
साथ नहीं हो फिर भी लगता
साथ तुम्हारा यूँ हर दम है
बज़्मे-सुखन में तेरा आना
हर मौसम में इक मौसम है
मेरा दुश्मन दोस्त है उसका
रिश्तों में कितनी उलझन है
------राजेश कुमार राय------
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