(1)
फूलों का प्यार देखकर हैरान रह गया
तमाम रंग मेरे बदन पर चढ़ा दिया
फूलों का प्यार देखकर हैरान रह गया
तमाम रंग मेरे बदन पर चढ़ा दिया
उदास मैं गया था गुलों के द़यार में
खुशबू नें मेरे दिल का तब़स्सुम बढ़ा दिया।
खुशबू नें मेरे दिल का तब़स्सुम बढ़ा दिया।
(2)
एक लड़की के जीवन की यही रस्मो-रिवायत है
बचपन के एक आँगन से रिश्ता तोड़ जाती है
सबसे बड़ी हिज़रत तो एक बेटी की हिज़रत है
परायों के लिये जो माँ का आँचल छोड़ जाती है।
(3)
सबसे बड़ी हिज़रत तो एक बेटी की हिज़रत है
परायों के लिये जो माँ का आँचल छोड़ जाती है।
(3)
दुश्मन की मौंत पर मेंरे आँसू छलक गये
खुद़ गया और मेरी अना साथ ले गया
उसके बगैर ज़िन्दगी वीरान हो गयी
अपनें वज़ूद का मुझे एहसास दे गया।
(4)
सारा अनाज़ मालिकों के घर चला गया
अपनें वज़ूद का मुझे एहसास दे गया।
(4)
सारा अनाज़ मालिकों के घर चला गया
सब मज़दूर की मेंहनत थी ज़मीदार की नहीं
जुगुनूँ नें कहा चाँद से ललकार मुझमें
जुगुनूँ नें कहा चाँद से ललकार मुझमें
रोशनीं तो बहुत कम है पर उधार की नहीं।
-------राजेश कुमार राय।-----
Very Nice Rajesh ji..
ReplyDeleteशुक्रिया सागर जी।
Deletebahut sundar
ReplyDeleteधन्यवाद नीरज जी।
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteक्या खूब लिखा सर बहुत अच्छा
ReplyDeleteशुक्रिया सर।
Deleteबहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी।
ReplyDeleteहर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी।
Deleteवाह बहुत खूब।
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