बीबी का कत्ल कर दिया पैसे के वास्ते
फिर भी वो कह रहा है गुनाहग़ार नहीं है।
फिर भी वो कह रहा है गुनाहग़ार नहीं है।
मग़रूर की महफ़िल में सब कुछ तो है मगर
मौंसिकी का एक भी फ़नकार नहीं है।
जिस घर में बेटियाँ नहीं तो रूह भी नहीं
दौलत है, शोहरत है, झनकार नहीं है।
रिश्तों का नाम हमनें दिया जितनें भी उसमें
एक माँ के जैसा कोई भी किरदार नहीं है।
चन्द सिक्कों के लिये बेंच दे ईमाँ अपना
"राजेश" इस तरह का कलमकार नहीं है।
.........राजेश कुमार राय.........
बहुत सुन्दर; स्वागत है इन पंक्तिओं से
ReplyDeleteकौड़ी के भाव बिक रहा ईमान देखिये
बन्दों को ख़ुदा बनने का फ़रमान देखिये
अज़ीज़ जौनपुरी
जिस घर में बेटियाँ नहीं तो रूह भी नहीं
ReplyDeleteदौलत है, शोहरत है, झनकार नहीं है।
बेहद उम्दा राजेश जी..
वाह ... सच है की माँ जैसा कोई नहीं दुनिया में ...
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ती .....
ReplyDeleteReally truth. Totay society bond to think it.
ReplyDeletenice delivery of emotions
adbhut.
ReplyDeleteरिश्तों का नाम हमनें दिया जितनें भी उसमें
एक माँ के जैसा कोई भी किरदार नहीं है।
जिस घर में बेटियाँ नहीं तो रूह भी नहीं
ReplyDeleteदौलत है, शोहरत है, झनकार नहीं है।
बेहद उम्दा राजेश जी
सुंदर प्रस्तुति.
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