बुराई जल गई, अब हो रहीं है प्यार की बातें
कहीं पर रंग की बातें, कहीं द़िलदार की बातें।
चेहरा चाँद जैसा और त़िल भी खूबसूरत है
ज़माना कर रहा है बस तेरे रूख़्सार की बातें।
यहाँ साकी चहकती है, वहाँ माली बहँकता है
यहाँ मैख़्वार की बातें, वहाँ ग़ुलज़ार की बातें।
इन्हीं रंगों की द़रिया में चलो हम डूब जाते हैं
कभी फुर्सत में होगी, फिर तेरे संसार की बातें।
तेरे कंगन, तेरे पाज़ेब का, फागुन है दीवाना
खुमारी चढ़ गयी है अब करो झनकार की बातें।
जरा सी भूल मौसम को कहीं बे-रंग ना कर दे
चलो बच्चों से कर लेते हैं कुछ बेद़ार की बातें।
वफा की राह में"राजेश"अपना हक् अदा कर दे
ज़माना याद रखेगा, तेरे किरद़ार की बाते।
----------राजेश कुमार राय।-----------