नहीं जिंदगी में रही रात रानी
मुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे
कहीं टूट जाये ना तेरी जवानी
किसे ये पता था कि आयेगा इक दिन
समंदर भी मांगेगा बादल से पानी
तुम्हारे पते पर तुम्हें भेज दूंगा
मुहब्बत में छूटी थी जो इक निशानी
जहां से चले थे वहीं आ गये हम
वही मैकद़ा है वही ज़िंदगानी
ये ज़ुल्फों का उड़ना बहकती अदाएं
भला कैसे होगा न मौसम रूमानी
कभी रेगज़ारों से पूछो कि उनके
तसव्वुर में क्या है समंदर के मानी