संगम का किनारा देखते हैं
धरती पर उतरता आसमां से
सुंदर माहपारा देखते हैं
जाने रंग कितने है समेटे
आओ रंग सारा देखते हैं
पुल से रात का मंज़र कि जैसे
रेतों में सितारा देखते हैं
कल कल सी मधुर संगीत जिसकी
उस गंगा की धारा देखते हैं
....... राजेश कुमार राय ..........