Sunday, 5 May 2024

अब तेरे पैकर के क़सीदे न पढ़ूंगा..........

सूरज को बुझाने में इस बात का डर है
के उसका तहम्मुल कहीं बरबाद न कर दे

अरसे से क़फ़स में हूं पर सूख गये हैं
डरता हूं सैय्याद़ भी आज़ाद न कर दे

अब तेरे पैकर के क़सीदे न पढ़ूंगा
द़िल मेरा मरासिम कोई ईज़ाद न कर दे

फुरक़त में मुश्ताक़ ने सब छोड़ दिया है
ये दौर उसे नाम से फरहाद न कर दे

   ----------राजेश कुमार राय---------

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