Wednesday 1 April 2020

अभी हरगिज न सौपेंगे सफ़ीना----------

ये गुलशन घर में ही अपने सजा ले
घरों में कैद रहने का मज़ा ले

नयी दुनियाँ बनाना बाद में तुम 
जो दुनियाँ है बची उसको बचा ले 

बला आयी है तो जाना भी होगा 
अभी चाहे हमें जितना नचा ले 

अभी हरगिज न सौंपेंगे सफीना 
समंदर शोर कितना भी मचा ले

मुसीबत की उमर लम्बी न होगी 
अगर ये पैर घर में ही जमा ले 

हिफाजत खुद की करने के लिए ही 
हकीमों की सलाहों को कमा ले

खुद़ा के वासते तनहा ही रह कर 
अमा इक चैन की बंशी बजा ले 

    -------राजेश कुमार राय---------


47 comments:

  1. वर्तमान स्थिति पर सटीक रचना , बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

      Delete
  2. Replies
    1. शुक्रिया आदरणीय ।

      Delete
  3. बहुत अच्छा लगा राजेश की अपने व्यस्त दिनचर्या में से समय निकाला आपने ... अच्छा लगा आपको दुबारा ताज़ा सामयिक गज़ल के साथ ...
    ये गुलशन घर में ही अपने सजा ले
    घरों में कैद रहने का मज़ा ले ... कितनी सटीक और सही बात ... आज देखो तो सबसे ज़्यादा इसी की ज़रूरत है देश में समाज में ...

    नयी दुनियाँ बनाना बाद में तुम
    जो दुनियाँ है बची उसको बचा ले ... सुभनल्ला ... खरी खरी बात ... जो है उसको तो बचा में तभी तो नई दुनिया की सोचेंगे ... इस समाज धरती को बाक़ी रखना ज़रूरी है ...

    बला आयी है तो जाना भी होगा
    अभी चाहे हमें जितना नचा ले ... ये भी एक सच्चाई है ... इसको तो पार पाना हो होगा ... समय के साथ ये चली जाएगी कुछ समय का धैर्य जरूँगी है ...

    अभी हरगिज न सौंपेंगे सफीना
    समंदर शोर कितना भी मचा ले ... सोपना भी नहीं चाहिए ... लाजवाब शेर

    मुसीबत की उमर लम्बी न होगी
    अगर ये पैर घर में ही जमा ले ... अच्छी और सच्ची बात ... संयम बस संयम ... धैर्य ही ज़रूरी है बस ...

    हिफाजत खुद की करने के लिए ही
    हकीमों की सलाहों को कमा ले ... बहुत ख़ूब ...

    खुद़ा के वासते तनहा ही रह कर
    अमा इक चैन की बंशी बजा ले ... बिलकुल और ये तन्हाई लम्बी नहि है ... बस इस चक्र को तोड़ना है ... एकाकी रहना ज़रूरी है ...
    बहुत कमाल की गज़ल मुकम्मल हुई ... बहुत शुक्रिया इस संदेश के लिए ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

      Delete
    2. बहुत ही सुंदर जुगलबंदी | बहुत दिनों के बाद आपकी गज़ल पर दिगम्बर जी की विवेचना मन को छू गयी | एक रचनाकार का दुसरे रचनाकार के प्रति ये निर्मल प्रोत्साहन बहुत सराहनीय और अनुकरणीय है | आप दोनों को सस्नेह शुभकामनाएं

      Delete
  4. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

    ReplyDelete
  5. नयी दुनियाँ बनाना बाद में तुम
    जो दुनियाँ है बची उसको बचा ले
    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

      Delete
  6. Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

      Delete
  7. वाह!बेहतरीन!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

      Delete
  8. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

      Delete
  9. जी, बस नासवा ने सब कुछ कह दिया। आमीन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

      Delete
  10. बेहतरीन!! सभी वर्जनाओं को सहर्ष कैसे सुंदरता से सामंजस्य कर जीने का सुंदर संदेश देता शानदार सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार ।

      Delete
  11. बेहतरीन! इस गुलशन का हरएक फूल करीने से सजकर अपनी सुगंध बिखेर रहा है।शानदार सृजन ।
    सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया ।

      Delete
  12. लाजवाब गजल हमेशा की तरह
    एक से बढ़कर एक मुकम्मल शेर
    वाह!!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

      Delete
  13. ये गुलशन घर में ही अपने सजा ले
    घरों में कैद रहने का मज़ा ले
    नयी दुनियाँ बनाना बाद में तुम
    जो दुनियाँ है बची उसको बचा ले!
    बहुत ही शानदार शेर जो आज के संक्रमण काल का आइना हैं | बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीय राजेश जी | आपके ब्लॉग पर हलचल देखकर गूगल प्लस के दिन याद आ गये | सुस्वागतम | आशा है अब रचनाओं का ये सफ़र जारी रहेगा | सादर --

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

      Delete
  14. आदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )

    'बुधवार' ०८ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"

    https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_8.html

    https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।


    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

      Delete
  15. वाह वाह वाह
    कितनी बारीकी से हर बात आज की जो जरूरत भी है आपने कह दी.
    सटीक बात कवि अपने लहजे में पेश करे तो वो शानदार हो जाती है.
    राजेश जी आपको पहली बार पढ़ा है.बहुत अच्छा लगा.
    लोकतंत्र मंच का शुक्रियादा करता हूँ कि उन्होंने मुझे आप तक पहुंचाया.
    मेरे ब्लॉग पर भी आपका हमेशां स्वागत रहेगा.

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

      Delete
  16. वाह. सटीक और सुन्दर.

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीया ।

      Delete
  17. बहुत अच्छी ग़ज़ल |बधाई और शुभकामनायें |

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

      Delete
  18. वाह
    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

      Delete
  19. आदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२  हेतु इस माह की चुनी गईं नौ श्रेष्ठ रचनाओं के अंतर्गत नामित की गयी है। )

    'बुधवार' २२  अप्रैल  २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
    https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_22.html  
     

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।


    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'  

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप का हार्दिक आभार आदरणीय ।

      Delete
  20. 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ का परिणाम घोषित।

    परिणाम





    अंतिम परिणाम
    ( नाम सुविधानुसार व्यवस्थित किये गये हैं। )
    1. भूख अब पेट में नहीं रहती

    २. वर्तमान परिप्रेक्ष्य : साहित्यकार की भूमिका!

    ३. अभी हरगिज न सौपेंगे सफ़ीना----------

    ४. एक दूजे का साथ देना होगा प्रांजुल कुमार/ बालकवि


    नोट: इन सभी पुरस्कृत रचनाकारों को लोकतंत्र संवाद मंच की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं। आप सभी रचनाकारों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक साधारण डाक द्वारा शीघ्र-अतिशीघ्र प्रेषित कर दी जाएंगी। अतः पुरस्कार हेतु चयनित रचनाकार अपने डाक का पता पिनकोड सहित हमें निम्न पते ( dhruvsinghvns@gmail.com) ईमेल आईडी पर प्रेषित करें! अन्य रचनाकार निराश न हों और साहित्य-धर्म को निरंतर आगे बढ़ाते रहें।


    ReplyDelete
  21. 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ का परिणाम घोषित।

    परिणाम





    अंतिम परिणाम
    ( नाम सुविधानुसार व्यवस्थित किये गये हैं। )
    1. भूख अब पेट में नहीं रहती ( आदरणीया प्रतिभा कटियार )

    २. वर्तमान परिप्रेक्ष्य : साहित्यकार की भूमिका! ( आदरणीया रेखा श्रीवास्तव )

    ३. अभी हरगिज न सौपेंगे सफ़ीना----------( आदरणीय राजेश कुमार राय )


    ४. एक दूजे का साथ देना होगा प्रांजुल कुमार/ बालकवि


    नोट: इन सभी पुरस्कृत रचनाकारों को लोकतंत्र संवाद मंच की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं। आप सभी रचनाकारों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक साधारण डाक द्वारा शीघ्र-अतिशीघ्र प्रेषित कर दी जाएंगी। अतः पुरस्कार हेतु चयनित रचनाकार अपने डाक का पता पिनकोड सहित हमें निम्न पते ( dhruvsinghvns@gmail.com) ईमेल आईडी पर प्रेषित करें! अन्य रचनाकार निराश न हों और साहित्य-धर्म को निरंतर आगे बढ़ाते रहें।


    ReplyDelete
  22. I am really happy to say it’s an interesting post to read APJ Abdul Kalam Quotes in Hindi this is a really awesome and i hope in future you will share information like this with us

    ReplyDelete
  23. The article is very easy to understand, detailed and meticulous! Also visit Inspirational Struggle Story in Hindi!

    ReplyDelete
  24. Vry amazing content man, I Like You Article Keep doing Good Work also visit Glowing Skin Tips in Hindi At Home.

    ReplyDelete
  25. की सलाहों को कमा ले

    खुद़ा के वासते तनहा ही रह कर
    अमा इक चैन की बंशी बजा ले ,,,,,,,,।बहुत शानदार अभिव्यक्ति आज कल की दिनचर्या पर ।

    ReplyDelete
  26. नयी दुनियाँ बनाना बाद में तुम
    जो दुनियाँ है बची उसको बचा ले
    वाह!!!!
    हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब...

    ReplyDelete
  27. हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब...

    ReplyDelete